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इस विधि से करें मां कालरात्रि की पूजा /28 Mar 2023 10:53 AM/    202 views

आज सप्तमी तिथि के दिन माता कालरात्रि का स्वरूप

सोनिया शर्मा
नई दिल्ली। हिन्दू पंचांग के अनुसार चौत्र शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि के दिन माता कालरात्रि की विधि-विधान से उपासना की जाती है। आज के दिन शुभ मुहूर्त में माता की उपासना करने से साधकों के सभी दुख दूर हो जाते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सप्तमी तिथि के दिन देवी कालरात्रि की उपासना करने से भय, रोग एवं दोष दूर हो जाते हैं। साथ ही साधक के जीवन पर नकारात्मक शक्तियों का प्रभाव नहीं पड़ता है। आइए आचार्य श्याम चंद्र मिश्र जी से जानते हैं चौत्र शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि के दिन माता कालरात्रि पूजा की विधि, शुभ मुहूर्त और महत्व। चौत्र नवरात्रि माता कालरात्रि पूजा महत्व आचार्य मिश्र बताते हैं कि देवी पुराण के अनुसार, माता कालरात्रि साहस एवं वीरता की देवी हैं। साथ ही नवरात्रि पर्व के सातवें दिन इनकी उपासना करने से सभी प्रकार के भय और दोष का अंत हो जाता है। शास्त्रों में यह भी बताया गया है कि माता कालरात्रि का अवतरण शुंभ और निशुंभ नमक दो दैत्यों के वध हेतु हुआ था। साथ ही माता शनि ग्रह को शासित करती हैं। इसलिए इनकी उपासना करने से शनि ग्रह का अशुभ प्रभाव साधकों पर नहीं पड़ता है। माता कालरात्रि की चार भुजाएं हैं और इनकी सवारी गर्दभ यानि गधा है। माता कालरात्रि के दाएं भुजा में अभय और वरद मुद्रा है। वहीं बाएं भुजा में खड्ग और वज्र नामक अस्त्र विद्यमान हैं। मां कालरात्रि के उग्र रूप में शुभ शक्तियां आसीन हैं, इसलिए इन्हें शुभांकरी नाम से भी जाना जाता है।
 
माता कालरात्रि पूजा विधि 
आचार्य मिश्र बताते हैं कि माता कालरात्रि की पूजा मध्यरात्रि यानी निशिता काल में करने से साधक को विशेष फल प्राप्त होता है। साथ ही सभी संकटों का नाश हो जाता है। ऐसा यदि संभव नहीं है तो सुबह जल्दी उठें और स्नान-ध्यान क व्रत का संकल्प लें। फिर माता कालरात्रि की प्रतिमा पर गंगाजल अर्पित करें। इसके बाद रोली, अक्षत, गंध, पुष्प, धूप, दीप, मिष्ठान, सिंदूर इत्यादि से मां कालरात्रि की विधवत पूजा करें।

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