संवाददाता
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सोशल मीडिया पर फैल रहे हेट स्पीच (नफरती भाषणों) को लेकर चिंता जाहिर की है। कोर्ट ने कहा है कि इन दिनों अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर सब कुछ जायज ठहराने की कोशिश कर रही है। ये बिल्कुल खतरनाक है। न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज फ्रांसिस विस्वनाथन की बेंच के द्वारा ये टिप्पणी उस याचिका पर सुनवाई करते हुए आई जो कि सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर शर्मिष्ठा पनोली के खिलाफ वजाहत खान नाम के शख्स ने दायर की थी।
बेंच ने कहा कि नफरती भरे भाषणों के खिलाफ कार्रवाई जरूरी है, लेकिन ये भी सुनिश्चित करने की जरूरत होगी कि किसी की भी बोलने की आजादी को कुचला न जाए। लोगों को भी अभिव्यक्ति की अधिकार का महत्व समझना चाहिए। यह अधिकार बेशकीमती है। बेंच ने कहा कि लोगों को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का मूल्य समझना चाहिए। राज्य को हर बार बीच में आकर कार्रवाई करनी पड़े, ये स्थिति नहीं होनी चाहिए। हेट स्पीच जैसे कंटेंट पर कुछ नियंत्रण जरूरी है। आम नागरिकों को भी ऐसे कंटेंट को शेयर करने, प्रमोट या लाइक करने से बचना चाहिए।
कोर्ट की बड़ी टिप्पणीः न्यायमूर्ति नागरत्ना ने कहा कि अब पोस्ट डिलीट करने का कोई मतलब नहीं है, एक बार जो इंटरनेट पर चीजें डल जाती हैं वो हमेशा के लिए रहती हैं। अभिव्यक्ति की आजादी बहुत ही अहम मौलिक अधिकार है। लेकिन इसका दुरुपयोग करने से बस अदालतों में भीड़ बढ़ती है।