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राजस्थान के चुरू में आर्मी का फाइटर प्लेन क्रैश

4 माह में तीसरा जगुआर जेट क्रैश

10 Jul 2025 04:06 AM 12 views

राजस्थान के चुरू में आर्मी का फाइटर प्लेन क्रैश

संवाददाता
जयपुर। राजस्थान के चुरू में बुधवार को एक फाइटर प्लेन क्रैश हुआ है। मलबे से दो शव भी बरामद किए हैं। यह वायुसेना का टू सीटर जगुआर लड़ाकू विमान था। लड़ाकू विमान ने सूरतगढ़ एयरबेस से उड़ान भरी थी और इसमें दो पायलट सवार थे। चुरू के रतनगढ़ के पास ये हादसा हुआ है। जानकारी अनुसार बुधवार दोपहर तेज आवाज के साथ लोगों ने विमान को जमीन पर बिखरे हुए देखा। कुछ ही पलों में खेतों में दूर तक विमान का मलबा बिखर गया, जिसमें आग लग चुकी थी। इतना ही नहीं ग्रामीणों ने दो लोगों के क्षत-विक्षत शव भी देखे। पुलिस और प्रशासन की टीम ने मौके पर पहुंचकर आग बुझाने का काम शुरू किया। मलबे से दो शव बरामद किए गए हैं। पुलिस ने बताया कि 1.25 पर भनोदा गांव के खेतों में विमान गिरा। उन्होंने बताया कि घटनास्थल के पास मानव अंग बरामद किए हैं।
 
ग्रामीणों में दहशत, भारी संख्या में जुटी भीड़ः ग्रामीणों के मुताबिक, उन्होंने तेज धमाके की आवाज के बाद धुएं का गुबार उठता देखा। घटना की जानकारी मिलते ही पुलिस और प्रशासन की टीमें मौके पर पहुंच गई हैं। घटना के बाद गांव में दहशत का माहौल है। कई लोग घटनास्थल के पास जमा हो गए हैं। 
 
4 माह में तीसरा जगुआर जेट क्रैशः वायुसेना बीते 4 महीने में तीन जगुआर फाइटर प्लैन खो चुकी है। 7 मार्च 2025 को हरियाणा के पंचकुला में वायुसेना का एक जगुआर ट्रेनिंग मिशन के दौरान क्रैश हुआ था। पायलट ने समय रहते बाहर निकल आया और हादसे में कोई जनहानि नहीं हुई। वहीं, 2 अप्रैल 2025 को जामनगर में रात के अभ्यास मिशन में उड़ान भरते समय जगुआर विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया। इस हादसे में एक पायलट की मौत हुई, जबकि दूसरा घायल हो गया। 
 
जगुआर एक ब्रिटेन और फ्रांस की संयुक्त परियोजना से बना ग्राउंड अटैक और डीप स्ट्राइक लड़ाकू विमान है।  भारत ने 1979 में वायुसेना में शामिल किया था। इस खासतौर पर दुश्मन के ठिकानों पर गहराई तक जाकर हमला करने के लिए तैयार किया गया था। यह विमान परमाणु हथियारों को भी ले जाने में सक्षम है। भारतीय वायुसेना ने जगुआर को ‘शमशेर’ नाम दिया है। यह विमान कई दशकों से भारत की हवाई शक्ति का अहम हिस्सा रहा है। करगिल युद्ध सहित कई अहम अभियानों में इसका उपयोग हुआ है। इस भारत में हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) ने भी बनाया है।