बीएचएलः कर्नाटक राज्य के कमर्शियल टैक्स डिपार्टमेंट ने डिजिटल लेनदेन के आधार पर एक अनोखी कार्रवाई शुरू की है। सूत्रों के अनुसार, विभाग ने लगभग 13,000 छोटे टैक्सपेयर्स को जीएसटी न चुकाने के लिए कारण बताओ नोटिस जारी किए हैं। इन टैक्सपेयर्स की लिस्ट में सड़क किनारे के रेहड़ी-पटरी पर दुकान लगाने वाले और छोटे बिजनेस करने वाले शामिल हैं।
यह कार्रवाई कारोबारी साल 2022 से 2025 तक के यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) लेनदेन की छह महीने की जांच के बाद की गई है। सूत्रों ने बताया कि विभाग ने फोनपे, गूगलपे, पेटीएम, भीम जैसे प्रमुख यूपीआई ऐप्स के लेनदेन डेटा की जांच की और इसे जीएसटी रजिस्ट्रेशन रिकॉर्ड के साथ मिलाया।
जांच में पता चला कि कई छोटे व्यापारी, जिनके पास काफी यूपीआई पेमेंट्स आ रहे थे, जीएसटी के तहत रजिस्टर नहीं थे। जबकि उनकी सालाना आमदनी सर्विसेज के लिए 20 लाख रुपये और सामान के लिए 40 लाख रुपये की सीमा से अधिक थी। यह कदम बड़ा असर डालेगा। कर्नाटक ने रास्ता दिखाया है, अब अन्य राज्य भी इस मॉडल को अपना सकते हैं। लेकिन इसका निगेटिव पक्ष भी है - इससे छोटे व्यापारी डिजिटल पेमेंट्स छोड़कर कैश की ओर लौट सकते हैं और इससे जिससे टैक्स सिस्टम पर भरोसा कम हो सकता है।